।। आदमीनामा ।।
मेरी आँखों को जब
चूमते हैं तुम्हारे शब्दों के अधर
दुनिया बहुत मुलायम
महसूस होने लगती है
काले समय के विरुद्ध
लड़ने के लिए
तुम्हारे शब्दों से चुराती हूँ
'गोल्ड मोहर' फूल का सुलगता लाल रंग
स्याह समय के खिलाफ
धुएँ की लकीरों को
हवा के बीच से खतियाने के लिए
दर्द के विरुद्ध
रचा है प्रेम
आँसू की जगह रखी है ओस बूँद
हिंसा के विरुद्ध
थामी है तुम्हारी हथेली
तुम्हारी आँखों से पिया है
तुम्हारे विश्वास का पय
तुम्हारी साँसों के ताने से
मेरे मन के बाने ने बुना है प्रेम
गुम चेहरों वाली
कसमसाती और ऊबी हुई भीड़ के बीच
मेरी आँखें घूमती हैं तुम्हारी आँखें पहनकर
मेरे ओंठ
तुम्हारे ओंठों की ताकत से बोलते हैं शब्द
मरी हुई खामोशी के विरोध में कुछ जेहादी शब्द
मसीहाई आदमी के बगलगीर खड़े होकर
बनाते हैं एक पक्ष
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