।। सच ।।























तुम
मुझसे ज्यादा अकेले हो
जबकि
तुमसे अधिक मैं
तुम्हारा इंतजार करती हूँ

साँसों के होते हुए भी
जिंदा नहीं हूँ
जिंदगी तुम्हारे होने का
पर्यायी नाम हूँ

हम खोज रहे हैं
अपना अपना समय
एक दूसरे की धड़कनों की घड़ी में
मैं अपने समय को
तुम्हारी गोद में
शिशु की तरह
किलकते हुए देखना चाहती हूँ

जिसमें तुम्हारा ही अंश
बढ़ते हुए अपनी आँखों के सामने देखूँगी
प्यार की तरह ।  

('रस गगन गुफा में अझर झरै' शीर्षक कविता संग्रह से)

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