।। पढ़ना ।।
लिफ़ाफ़े की तरह
खोलती है शब्द
और शब्दों से
खोलती है मन
सुनती है
शब्दों में छुपी
साँसों की आहटें
लहरों की तरह
आती हैं जो
लगातार
एक-पर-एक
सुनते समय ही
शब्दों में महसूस होते हैं आँसू
कभी साँसों का स्निग्ध उत्ताप
और धड़कनों की लरजती सिहरन
आवाज़ के बीच
छुपे होते हैं कुछ खामोश शब्द
संबंधों के सघन उद्बोधन में संलग्न
शब्द-संवेदना के सिहरते नक्षत्र-कोश
तुम्हारी बतकहियों की मासूमियत को
साँसों में सहेजकर रखती हूँ कि
परेशानियों के बावजूद तुम्हारा अपना खिलंदड़ापन
खींच ले जाता है मुझे तुम्हारे पास
कुछ ऐसा कहने के लिए
जो अब तक नहीं सुन सके हो तुम
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें