।। मेरी आँखें तुम्हारा एलबम ।।


















आँखों में
तुम्हारी तस्वीरें रखी हैं
मेरी आँखें
तुम्हारा ही एलबम हैं

तुम्हारी आवाज
संगीत की तरह
गूँजती-बजती है भीतर-ही-भीतर
नए राग की तरह
रागालाप में लगी रहती है निरन्तर
साधक की तरह

धड़कनों में
धड़कती हैं तुम्हारी ही धड़कनें
साँसों में
प्रणय साधना अविचल
तुम्हारी ही हथेलियों के स्पर्श से
जाना कि खजुराहो के शिल्पी
तुम्हारे ही पूर्वज रहे हैं

मन-देह भीतर
गढ़ी है एक प्रणय-प्रतिमा-जीवन्त
जिसे अपनी आँखों से
अनावृत किया है मेरी आँखों में ।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

।। सुख का वर्क ।।

सूरीनाम में रहने वाले प्रवासियों की संघर्ष की गाथा है 'छिन्नमूल'

।। अनुभूति रहस्य ।।