।। अनगिनत नदियाँ ।।






















प्रेम के हठ योग में
जाग्रत है
प्रेम की कुंडलिनी ।

रंध्र-रंध्र में
सिद्ध है साधना ।

पोर-पोर
बना है अमृत-कुंड ।

प्रणय-सुषमा
प्रस्फुटित है सुषुम्ना नाड़ी में
कि देह में
प्रवाहित हैं अनगिनत नदियाँ ।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

।। सुख का वर्क ।।

।। अनुभूति रहस्य ।।

सूरीनाम में रहने वाले प्रवासियों की संघर्ष की गाथा है 'छिन्नमूल'