।। राग में शब्द ।।
प्रेम में साँस की लय में रचे हुए शब्द घुल जाते हैं अपनी लय में जैसे राग में शब्द शब्द में राग । प्रेम की सार्वभौमिक गूँज-अनुगूँज में विस्मृत हो जाता है स्व और सर्वस्व शेष रहता है प्रेम और… सिर्फ प्रेम प्रेम प्रेम जैसे समुद्र में समुद्र धरती में धरती सूरज में सूरज चाँद में चाँद और तृषा में तृप्ति प्यास में जल जीवन में जीवन की तरह ।