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जनवरी, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

।। तुम्हारे जाने के बाद ।।

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तुम्हारे जाने के बाद छूट जाता है तुम्हारा जीना मुझमें एक पूरी जीवन्त ऋतु की तरह हम दोनों एक-दूसरे को जी लेते हैं अपनी प्रसुप्त पाँखें खोल प्रणय प्रसूति हेतु तुम्हारे जाने के बाद आँखों के आँचल की खूँट में खिला-महकता वसन्त आस्था के अक्षत की तरह छूट जाता है बचा हुआ बँधा रहता है पवित्र संकल्प-सा तुम्हारे जाने के बाद सम्पूर्ण पृथ्वी पर रची हुई दिखती है प्रणय के वसन्त की कांतिमान रंगत स्मृतियों की जड़ों में रस-रंग घोलती तुम्हारे अधबोले शब्द शब्दों के अंत का सिहरता गुलाबी मौन करता है पृथ्वी पर अपने होने की सृष्टि अवतरित होता है अबुझ …गतिशील नक्षत्र लोक पसरता है प्रणय-उजास का अमिट प्रकाश मन-धरती की दरारों को अपनी रोशनी से भरता तुम्हारे जाने के बाद कर्ण-गठरी कि मन-गठरी में रखे गए तुम्हारे शब्द मेरे प्राण धरोहर मृत को जीवन्त निष्प्राण को प्राणवान अपने शब्दों की जिजीविषा से देते हो प्राण प्रणय की …प्रणय प्रतीक्षा के लिए संजीवनी शक्ति तुम्हारे जाने के ब

जन्मदिन की बधाई !

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।। प्रेम-बीज ।।

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आँखें प्रेम-बीज हैं और अधर ही बीज-मंत्र अभिषिक्त होती है देह प्रणय-साधना के लिए ।

।। दूब की जड़ों में ।।

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पार के परे कथाओं का बीज शब्द-प्रेम जीवन का प्राण शब्द प्रण शब्द आँखों के निर्मल मुलायम आकाश में नवपाखी-सा देह की सीमाओं का खोल छोड़ता अंडे से चूजे की तरह निकल आता है फड़फड़ाता सकुची मुस्कुराहट में दूब की जड़ों में डूबी कोमलता की छाया अधरों की कोरों में ठहर जाती है जलाशय की तरह गल-घुल जाती है जिसमें सपनों की रसपयस्विनी धवलता घने कोहरे की चुअन महुए की उजली टपकन मीठी सुगन्ध का देह धरे धरा पर उतरता पारदर्शी मन का ओस बूँद बन दूब नोक पर अटक बैठता घटाओं में इतराती सूर्य रश्मि की परियों का मधुर अहसास प्रेम आस प्रणय-धारा के प्रण-तट पर रेत के भुरभुरे ढूह पर नमी तलाशते दोनों के बैठने भर से बन जाते हैं दो कोटर जैसे प्रणय के चेहरे की दो सजल आँखें       प्रणय अगोरती आकाश सँजोती       कोटर की आतुर अंजलि पसारे दोनों का ह्रदय देह से बाहर हो सदेह बैठता है साथ साथ शून्य को सरस करता रेत में प्रणय की अक्षय छाया भरता ।

।। तुम हो मुझमें ।।

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शब्द में अर्थ की तरह तुम हो मुझमें                     सुख में           खुशी की तरह ।                   उजाले में           चमक की तरह ।                    सन्नाटे में           चुप्पी की तरह ।                    शांति में           मौन की तरह ।                    पर्वतों में           ऊँचाई की तरह ।                    सागर में           गहराई की तरह ।                    पानी में           नमी की तरह । प्रेम में प्रेम की तरह तुम हो मुझमें ।

प्रेम … विस्मित करता है

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