।। स्पन्दन ।।
तुम !
मुझसे ज्यादा अकेले हो
जबकि
तुमसे अधिक मैं
इंतजार करती हूँ तुम्हारा ।
हम खोज रहे हैं
अपना-अपना समय
एक-दूसरे की धड़कनों की घड़ी में ।
अपने समय को
तुम्हारी गोद में
शिशु की तरह
किलकते हुए देखना चाहती हूँ ।
तुम्हारे ही अंश को
तुम्हारी ही आँखों के सामने
बढ़ते हुए
देखना चाहती हूँ ।
प्यार से अधिक
कोमल और रेशमी
कुछ नहीं बचा है
पृथ्वी पर
जीने के लिए ।
तुम्हारी हथेली की अनुपस्थिति में
छोटी लगती है धरती
जिन हथेलियों में
सकेल लिया करती थी
भरा-पूरा दिन
आत्मीय रातें
बची हैं उनमें
करुण बेचैनी
सपनों की सिहरनें
समुद्री मन की सरहदों का शोर ।
तुम्हारी आँखों में सोकर
आँखें देखती थीं
भविष्य के उन्मादक स्वप्न ।
तुम्हारे प्रणय-वक्ष में जीकर
अपने लिए सुनी हैं
समय की धड़कनें
जो हैं
सपनों की मृत्यु के विरुद्ध … ।
प्रेम से भरी हुई . जीवनसे धडकती हुई .. दिल को छूती हुई
जवाब देंहटाएंशब्दों ला कोमल अहसास. वाह जी वाह ..
दिल से बधाई .
विजय