सूरीनाम में रहने वाले प्रवासियों की संघर्ष की गाथा है 'छिन्नमूल'
हिंदी पत्रिका आउटलुक में पुष्पिता अवस्थी के उपन्यास 'छिन्नमूल' की समीक्षा 'प्रवासी जन-जीवन की गाथा' शीर्षक कॉलम के तहत प्रकाशित हुई है, जिसे प्रख्यात समीक्षक ओम निश्चल ने लिखा है । उसे हम यहाँ साभार प्रस्तुत कर रहे हैं । उक्त समीक्षा को यहाँ हू-ब-हू पढ़ा जा सकता है । प्रवासी भारतीय लेखकों में पुष्पिता अवस्थी का नाम प्रतिष्ठा से लिया जाता है। पहली बार किसी प्रवासी भारतीय लेखिका ने सूरीनाम और कैरेबियाई देश को उपन्यास का विषय बनाया है और गिरमिटिया परंपरा में सूरीनाम की धरती पर आए मेहनतकश पूर्वी उत्तर प्रदेश के मजदूरों यानी भारतवंशियों की संघर्षगाथा को शब्द दिए हैं । यह उन लोगों की कहानी है जो अपनी जड़ों से कटे हैं, जिन्होंने पराए देश में अपनी संस्कृति, अपने धर्म और विश्वास के बीज बोए और पराई धरती को खून-पसीने से सींच कर पल्लवित किया । सूरीनाम पर इससे पहले डच भाषा में उपन्यास लिखे गए पर वे प्राय: नीग्रो समाज के संघर्ष को उजागर करते हैं । सरनामी भाषा में भी कुछ उपन्यास लिखे गए पर वे सर्वथा डच सांस्कृतिक आंखों से देखे गए वृत्तांत हैं । यह उ
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